सूचना का अधिकार
अधिनियम, 2005
कैसे करें इस्तेमाल ?
संभावना संस्था द्वारा दिसंबर, 17, 2017 को एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कोई भी व्यक्ति जो आर टी आई (Right to Information) के बारे में जानकारी चाहते हैं, भाग ले सकते हैं !
देश की व्यवस्था को पारदर्शिता और जवाबदेह बनाने के लिए संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की कानूनी व्यवस्था की है ! जागरूकता के अभाव में प्रदेश में बहुत कम लोग इस कानून का प्रयोग कर रहे हैं ! बारह साल के लम्बे अरसे के बाद भी हिमाचल प्रदेश में सूचना हासिल करने की प्रक्रिया काफी जटिल है वहीं आवेदकों की ओर से आने वाले सवाल भी स्पष्ट नहीं होते हैं ! सरकारी स्तर पर भी इस कानून का सख्ती से पालन करने की कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई जा रही है ! इसका नतीजा यह है की प्रदेश में सूचना समय से न मिल पाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है ! उधर सूचना कैसे मांगी जाए, आवेदकों को प्रशिक्षित करने की भी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है ! सूचना क्रांति के दौर में सूचनाओं का आदान–प्रदान सरल, सस्ता और तेजी से हो, इस कार्यशाला का यही उद्देश्य है !
लोग सूचना तो प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन अपने नाम से सूचना लेने से डरते हैं ! लोगों के इस डर के कई कारण हैं ! इसमें कई बार सूचना अपनों के खिलाफ लेनी पड़ती है ! कुछ लोगों को सूचना लेने के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती है !कुछ सरकारी कर्मचारी/अधिकारी भी खुद को व्यवस्था का शिकार मानते हैं और समझते हैं की इस अधिकार का प्रयोग कर भ्रष्टाचार को बेनक़ाब किया जा सकता है, लेकिन वे इस कानून का प्रयोग करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं ! यह कार्यशाला में हम सूचना प्राप्त कर उसका विश्लेषण करने के बाद मीडिया के माध्यम से लोगों तक जानकारी पहुँचाने के तरीके पर चर्चा करेंगे !
पारदर्शिता, जवाबदेही, संवेदनशील व् भ्रष्टाचार मुक्त शासन के लिए आरटीआई आम आदमी के हाथ में सब से बड़ा हथियार है आओ इसका इस्तेमाल आज से शुरू करें !
संचालक: श्री लवण कुमार जी मंडी ज़िला, हिमाचल प्रदेश में कई वर्षों से आर टी आई कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं !
कार्यशाला हिंदी भाषा में संचालित की जाएगी !
ग्रामीण बहन–भाई इस प्रकार के कई प्रश्नों के उत्तर सहजता से आर टी आई द्वारा पा सकते हैं !
- क्या हम उस सामग्री का नमूना ले सकते हैं, जो स्कूल भवन, अस्पताल भवन, सड़क आदि के निर्माण में इस्तेमाल की जा रही है और क्या ऐसी सामग्री के नमूने की जांच करवा का हम देख सकते हैं की वह मापदंडों पर खरी उतरी है या नहीं?
- एक राशनकार्ड बनाने में कितना समय लगता है और किसी व्यक्ति विशेष के मामले में इतनी देर क्यों हुई?
- राशन कार्डधारियों में बांटने के लिए राशन विक्रेताओं को प्रति व्यक्ति कितना अनाज जारी किया जाता है?
- क्या डिपो होल्डर राशनकार्डधारियों को अनाज की आपूर्ति तयशुदा मापदंडों के अनुसार कर रहा है?
इस तरह के हज़ारों प्रश्न हमारे दिलों–दिमाग में हलचल पैदा करते हैं और इसके उत्तर पाना चाहते हैं ! संविधान में सूचना का अधिकार मौलिक अधिकार माना गया है ! परन्तु ऐसे प्रश्रों के उत्तर आम जनता को उपलब्ध नहीं थे ! लोगों को सरकार के कामकाज करने की प्रक्रिया की बहुत कम जानकारी है ! सूचना उपलब्ध न होने से और सरकारी कामकाज की प्रक्रिया की कम जानकारी से निर्णय प्रक्रिया से अपारदर्शिता बढ़ती है और भ्रष्टाचार बढ़ता है ! सही समय पर प्राप्त सूचना से भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन एवं सरकारी तंत्र के दुरूपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है !
आइये इस अधिकार को समझें और उपयोग में लाएं !
कार्यशाला में भाग लेने के लिए हमें फ़ोन करें – 889 422 7954