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13 March, 2023
9:00 am

बुनियाद

सामाजिक परिवर्तन में कार्यरत युवाओं के लिए कार्यक्रम

13-22 मार्च 2023

संभावना संस्थान पिछले कई वर्षों से युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अन्याय से जुड़े मुद्दों पर दृष्टिकोण को व्यापक करने के लिए शिविर और कार्यक्रम आयोजित करते आई है । इस श्रृंखला में हम युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बुनियाद नाम का कार्यक्रम कर रहे हैं | यह कार्यक्रम उन युवा साथियों के लिए है जो किसी भी रूप में सामाजिक कार्य में जुटे हुए हैं ।

कार्यक्रम के बारे में 

सामाजिक बदलाव और बदलाव की राजनीति में भागीदारी की प्रक्रिया जटिल है । आज के राजनीतिक माहौल में कार्यकर्ताओं के सामने कई चुनौतियां हैं – समाज में उदासीनता और बढ़ती असहिष्णुता; ‘विकास’ के नाम पर संसाधनों का बढ़ता निजीकरण और केंद्रीकरण; लोकतान्त्रिक प्रक्रियों की घटती जगह, और जाति, धर्म, वर्ग और लिंग आधारित शोषण के पेचीदा अंतरसंबंधों का जाल – ये सब नई  मैदानी उलझनों और सवालों को खड़ा कर रहे हैं | समाज में सक्रिय युवा इन उलझनों और सवालों का सामना करते हुए, अपने सन्दर्भ और स्थानीय मुद्दों की एक समझ बनाते हुए, सामजिक परिवर्तन के लिए प्रयोग और प्रयास करते हैं | परन्तु राजनीतिक, आर्थिक और सामजिक मुद्दों का गहराई से अध्ययन और चिंतन करने तथा इस चिंतन को अपने काम में शामिल करने  का समय या मौक़ा अधिकतर युवा साथियों को नहीं मिल पाता । इन मुद्दों को सांझे रूप से परखने और विकसित करने की प्रक्रिया है यह कार्यक्रम जिसका नाम है, बुनियाद:

  • क्या आप एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं ?
  • क्या आप शोषण के ढांचागत कारणों को समझने की प्रक्रिया में शामिल हैं ?
  • क्या राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानता के अंतरसम्बन्धों को और गहराई से जानना चाहते हैं ?
  • क्या बदलाव की राजनीति में जुड़े अपने जैसे और युवा साथियों से जुड़ कर एक सांझा चिंतन करने को उत्सुक हैं ?

यदि हाँ, तो बन जाइये सहयात्री इस 10 दिनों के सफर में …

कार्यक्रम में अलग-अलग स्रोत व्यक्ति प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे । चर्चा के मुख्य विषय कुछ इस प्रकार होंगे:

  • स्वयं के अनुभव, संघर्ष और चुनौतियाँ – समाज, और सामाजिक कार्य में क्या है हमारी पहचान ?
  • जाति, साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद और पितृसत्ता – आज के हालात, ऐतिहासिक परिपेक्ष, और इनका हमारे प्रयासों से लेन-देन
  • अर्थव्यवस्था, पूंजीवाद और नव उदारवादी आर्थिक ढांचे, विकास – इनके अंतर्सम्बध, और इनसे जुड़े मुख्य मुद्दे
  • राज्य का स्वरुप और लोकतंत्र की चुनौतियां
  • जन आन्दोलन –  संघर्ष और निर्माण का अंतर्सम्बध, पुराने प्रयासों से सीख, बदलाव की राजनीति क्या है ? इसकी चुनौतियां, और आगे के रास्ते …

10 दिन का यह कार्यक्रम युवाओं और ज़मीनी कार्यकर्ता को आज की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों को समझते हुए स्वयं का दृष्टिकोण स्पष्ट करने और बनाने का एक प्रयास करता है | साथ ही आपस में, तथा अनुभवी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद से सीखने, समझने और प्रेरणा हासिल करने का एक अवसर है |

सहजकर्ता / स्त्रोत व्यक्ति 

राहुल बनर्जी | खड़गपुर IIT से सिविल इंजीनियरिंग में B.Tech और पर्यावरण आयोजन , में अहमदाबाद से P.hd की उपाधियां प्राप्त करके सामाजिक-राजनीतिक कार्य और विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन व उस पर शोध में कार्यरत हैं। वे पश्चिमी मध्य प्रदेश के भील आदिवासियों के साथ उनके पारंपरिक गुणों को आधुनिक कौशल के साथ संश्लेषित कर न्यायपूर्ण और सतत विकास पर काम करते है। खेडूत मजदूर चेतना संगठ नामक जन संगठन और महिला जगत लिहाज़ समिति नामक संस्था के माध्यम से वे भील समुदाय का ज्ञान, तकनीक, आजीविका और संस्कृति पर चार दशकों से कार्य कर रहे है। वे जन कार्यवाही, नीति और मीडिया वकालत, अनुसंधान और कानूनी कार्रवाई के द्वारा भील समाज पर हो रहे बाहरी शोषण और उसके आंतरिक पितृसत्ता का मुकाबला करते आए है। वे समय समय पर अपने कार्य और शोध पर लेख और पुस्तक लिखते रहे है। उनके और उनके कार्य के बारे में अधिक जानकारी उनके वेबसाईट – http://rahulbanerjeeactivist.in/ और उनके ब्लॉग – https://anar-kali.blogspot.com/ से प्राप्त हो सकती है।

मोगलन भारती – सह – प्राध्यापक, स्कूल ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज अम्बेडकर विश्वविद्यालय | मोगल्लान ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि 2018  में ली, उनकी थीसिस में उन्होंने सामाजिक आंदोलनों की राजनीति – बोलीविया में स्वदेशी आंदोलन और भारत में दलित आंदोलन का तुलनात्मक अध्ययन ​किया| ​उन्होंने अपनी म.फील उत्तर प्रदेश में जाति और भूमि संबंधों का अध्ययन और भूमि प्रश्न पर बी इस पि का दृष्टिकोण समझने में किया।

उत्पला शुक्ला – सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ लंबे समय से ग्रामीण महिलाओं एवं शहरी मजदूरों के बीच सघन काम कर रही है । जेंडर से सबंधित सामुदायिक कार्यशालाओं की विशेष निपुणता ज़ाहिर करनेवाली उत्पला शुक्ला सांझी विरासत और शांति के मुद्दों पर युवाओं और किशोरों के साथ कार्यशालाओं का आयोजन और विभिन्न मानवाधिकार एवं जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदार रही है|

कार्यशाला की शिक्षण-विधि

कार्यशाला में भाषण, चर्चा–बहस, विभिन्न सामूहिक गतिविधियों, थिएटर एवं फ़िल्मों का प्रयोग करते हुए उपरोक्त विषयों पर बातचीत की जायेगी |

भाषा: हिंदी

कार्यक्रम में शामिल होने के लिए:

  1. यह कार्यक्रम उन युवा कार्यकर्ताओं वह छात्रों के लिए है जो 21 से 35 वर्ष की उम्र श्रेणी में हैं
  2. आपने किसी सामाजिक संस्था, संगठन, जन आन्दोलन के साथ कार्य या वोलंटियर किया हो

कार्यक्रम का शुल्क:

यह कार्यशाला किसी भी सरकारी संस्था या कम्पनी द्वारा आयोजित नहीं की जा रही है । अत: आशा करते हैं प्रतिभागी अपने रहने-खाने की व्यवस्था के कुछ हिस्से को पूरा करने के लिए 5000/- रूपये का अंशदान कर सकते हैं । जो प्रतिभागी अंशदान की राशि में कुछ छूट चाहते हैं वे आवेदन में अलग से इसका ज़िक्र कर सकते हैं |

तारीख –  13-22 मार्च 2023

स्थान – संभावना संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश

अन्य जानकारी अथवा पूछताछ के लिए – व्हाट्सप्प/कॉल – +91-889 422 7954 (केवल 10 am – 5 pm के बीच कॉल करे); ईमेल – programs@sambhaavnaa.org